Description
Most Powerful Wealth Richness Aghori Baba Gorakhnath ENERGIZED NADI PAVITARI
Only Nadi pavitri Rudraksh sportic Munga Kaccha Janeu,
सिर्फ नदी पवित्री रुद्राक्ष स्पॉटिक मंगा कच्चा जेएनयू ,
শুধুমাত্র নাদি পবিত্র রুদ্রাক্ষস স্পটিক মোঙ্গা আর কাঁচা পৈতে কালো,
Most Powerful Wealth Richness Aghori Baba Gorakhnath ENERGIZED NADI PAVITARI Janeu is a holy thread worn with nadi and pavitri by the NATH yogis.
******नादि पवित्री जनेऊ ********
नाथ सम्प्रदाय के संन्यासी तथा गृहस्थ योगी अपने गले में काले उन से निर्मीत जनेऊ धारण करते हैं जो तीन नाडी,
१. इडा
२.पिंगळा
३.सूषुमना का प्रतीक मानी जाती है
जिसे बनाने की विधी काफी जटील होत हैं, काली भेड के ऊन के रेषो को कात कर पतला धागा बनाया जाता है.
उस प्रकार 16 तंतुओ को आपस में गुंथ कर 12 ½ हाथ लंबी जनेऊ तयार करने में कईं दिनो या महीनो तक का समय लगता है,
बनाते समय नाथ योगी ‘जनेऊ मंत्र’ का जाप भी करते है.
पुर्ण होने के उपरांत उसे जोडने के लीये एक गांठ लगाई जाती है जिसे ‘ब्रह्म गांठ’ कहा जाता है.
योगीयो में एैसी मान्यता है की नादी जनेऊ धारण करने वाले योगी पर गुरु गोरक्षनाथ जी ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर,64 योगीनी
52 वीर 9 नाथ की कृपा सदेव बनी रहती है. जनेऊ में गांठ लगाने के बाद उसमें पवित्री, मुंगा, स्फटीक, रुद्राक्ष तथा नादी को जोडा जाता है
1) पवित्री :- पराशक्ती – पवित्रता – चिदानंद – अर्धमात्रा
2) मुंगा :- ब्रह्मा जी – उत्पत्ती – रजोगुण -ब्रह्मानंद – ‘अ’ कार
3) स्फटीक :- विष्णु जी – स्तिथी – सतोगुण – महानंद – ‘उ’ कार
4) रुद्राक्ष :- शिवजी – संहार – तमोगुण -कैवल्यानंद – ‘म’ कार
5) नादी :- ब्रह्मनाद – बिंदु
नादी जनेऊ के पुर्ण रुप से तैयार होने पर चोटी दिक्षा के समय नादी जनेऊ गुरु द्वारा शिष्य को पहनाई जाती है
साथ ही में सदगुरू द्वारा अपने नये बने चेले को, गुरुमंत्र तथा नादी आदेश (नाद उठाना, ॐकार उठाना) करने की रिती समजाई जाती है, नाथ योगी अपने गुरुदेव, ईष्टदेव, समाधी तथा धुणे के सामने नाद बजाकर आदेश करते हैं.जो शिष्य नादी जनेऊ धारण नही करते वह सिर्फ मंत्र बोलकर ‘शंभु आदेश’ करते है.
योगी अपने गुरुदेव केे मार्गदर्शन मे रहकर योग के नियमो का पालन करते हुए नित्य साधना तथा ध्यान द्वारा भौतिक से पार होकर अलौकिक अनुभव करते हुए परमतत्व की और बढते हुए, अंत में समाधी द्वारा शुन्य अवस्था को प्राप्त कर सिद्ध हो जाता है.
श्री योगी विलास नाथ जी~








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